*सोनार की तकदीर*
*एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवों में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का सोने के बटन की झालन टूट गई, उसने अपने मंत्री से पूछा, कि इस गांव में कौन सा सोनार है, जो मेरे कुर्ते में नया बटन बना सके?*
*उस गांव में सिर्फ एक ही सोनार था, जो हर तरह के गहने बनाता था, उसको राजा के सामने ले जाया गया।*
*राजा ने कहा, कि तुम मेरे कुर्ते का बटन बना सकते हो ?*
*सोनार ने कहा, यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है ! उसने, कुर्ते का दूसरा बटन देखकर, नया बना दिया। और राजा के कुर्ते में फिट कर दिया।।*
*राजा ने खुश होकर सोनार से पूछा, कि कितने पैसे दूं ?*
*सोनार ने कहा :- "महाराज रहने दो, छोटा सा काम था।"*
*उसने, मन में सोचा, कि सोना राजा का था, उसने तो सिर्फ मजदूरी की है। और राजा से क्या मजदूरी लेनी...!*
*राजा ने फिर से सोनार को कहा कि, नहीं-नहीं, बोलो कितने दूं ?*
*सोनार ने सोचा कि दो रूपये मांग लेता हूँ। फिर मन में विचार आया कि कहीं राजा यह न सोचलें कि एक बटन बनाने का मेरे से दो रुपये ले रहा है, तो गाँव वालों से कितना लेता होगा और कोई सजा न दे दे। क्योंकि उस जमाने में दो रुपये की कींमत बहुत होती थी।*
*सोनार ने सोच-विचार कर राजा से कहा कि :- "महाराज जो भी आपकी इच्छा हो, दे दो।"*
*अब राजा तो राजा था। उसको अपने हिसाब से देना था। कहीं देने में उसकी इज्जत ख़राब न हो जाए। और उसने अपने मंत्री को कहा कि इस सोनार को दो गांव दे दो, यह हमारा हुक्म है।*
*यहाँ सोनार जो सिर्फ दो रुपये की मांग का सोच रहे थे, मगर राजा ने उसको दो गांव दे दिए।*
*इसी तरह जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ते हैं, तो वह अपने हिसाब से देते हैं और मांगते हैं तो सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते हैं।*
*देने वाला तो पता नहीं क्या देना चाहता है, लेकिन हम अपनी हैसियत से बड़ी तुच्छ वस्तु मांग लेते हैं.*
*इसलिए संत-महात्मा कहते हैं, ईश्वर को सब कुछ अपना सर्मपण कर दो, उनसे कभी कुछ मत मांगों, जो वो अपने आप दें, बस उसी से संतुष्ट रहो। फिर देखो इसकी लीला। वारे के न्यारे हो जाएंगे। जीवन मे धन के साथ "सन्तुष्टि" का होना जरूरी है..!!*
*🙏🙏🏽🙏🏻जय जय श्री राधे*🙏🏼🙏🏾🙏🏿
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