जीते-जीते रक्तदान, जाते-जाते नेत्रदान

जीते-जीते रक्तदान, जाते-जाते नेत्रदान

अभी जो माहौल चल रहा है, 
रोग चाहेकोईभी लेकिन ज्यादातर हमें खून की कमी हो जाति हैं,
ओर उस समय अंदर से हमारी आवाज आने लगती हैं, की रक्तदान
करना चाहिए।

पर हमारी बीमारी ख़तम हम भूल जाते हैं। 
पर हमे भूल जाने की आदत से बाहर आकर, हमें रकक्तदान करचाहिए।

ओर 
आज के यूग मे हमे यह प्रण लेना चाहिए की जब हमारी अंतिम समय या हमारी मौत के बाद हमे हमारे आँखो के दान देने का संकल्प करना होगा।



Previous
Next Post »